Quantcast
Channel: ख्याली पुलाव – NavBharat Times Blog
Viewing all articles
Browse latest Browse all 10

कोरोना के बहाने प्रकृति ने इंसान को औकात बता दी

0
0

हम इंसान आर्टिफिशल इंटेलिजेंस विकसित कर रहे हैं लेकिन नेचुरल इंटेलिजेंस को ताक पर रख रहे हैं। हममें से बहुत से मानने को राजी नहीं कि धरती पर कुछ बिगड़ रहा है ऐसे में प्रकृति ने कोरोना महामारी के जरिए अपने अद्भुत सिमुलेशन से एक ऐसी दुनिया की झलक पेश की है जिसमें सब होंगे पर इंसान नहीं होगा। प्रकृति का संदेश साफ है… तुम न रहोगे तो भी रहेगी यह दुनिया और पहले से ज्‍यादा खूबसूरत होगी।

पिछले महज 10 दिन के लॉकडाउन के बाद से आसमान नीला था, नदियां साफ थीं और सांस ले रहीं थीं, हवा ताजा थी, जानवर बेधड़क अपने स्‍वाभाविक रंग में घूम रहे थे। केवल इंसान बंद थे, उनकी कारगुजारियां बंद थीं। जिस ईश्‍वर के लिए पूरी दुनिया में खून बहाया जा रहा है उसने भी इन पर अपने दरवाजे बंद कर लिए थे।

कुल मिलाकर यह इंसानी सभ्‍यता का नियर डेथ एक्‍सपीरियंस था। उसे झलक मिली कि जीवन भर क्‍या किया, और न रहेंगे तो क्‍या होगा।

लेकिन अफसोस, मजबूरी में की गई हरकतें बंद थीं लेकिन दिमागी तौर पर जो कचरा फैला हुआ है वह और फैला। जिस मौके पर बैठकर आत्‍मनिरीक्षण करना था हम तू-तू, मैं-मैं कर रहे थे। इस सब में जिनकी भागीदारी सबसे कम थी वे सबसे ज्‍यादा झेल रहे थे, मर रहे थे। इस पर भी हम राजनीति कर रहे थे, महज दर्शक बनकर देख रहे थे, मजाक उड़ा रहे थे, दूसरों को कोस रहे थे।

दिमागी दिवालियापन जारी था क्‍योंकि वहां धारा 144 नहीं लगी थी, वहां पुलिस लाठी नहीं भांज रही थी। लेकिन इसी दिमागी दिवालियेपन की वजह से ये हालात पैदा हुए यह शायद किसी ने नहीं सोचा था।

लॉकडाउन शायद अगले 9-10 दिन में हट जाएगा या शायद कुछ दिन और बढ़ जाए। जिसे हम हालात सामान्‍य कहते हैं, वह हो जाएगा पर शायद वही असामान्‍यता है दुनिया के बाकी तत्‍वों के लिए। फिर नदियां काली हो जाएंगी, आसमान में धुंध होगी जिसके लिए हम पराली और किसानों के बहाने एक-दूसरे पर ठीकरा फोड़ेंगे, जानवर फिर डरकर जंगलों में घुस जाएंगे। हम कहेंगे हालात फिर पहले जैसे हो गए। सामान्‍य हो गए।

पर सामान्‍य होने से पहले जान लीजिए यह प्रकृति की इंसान को एक आखिरी चेतावनी है कि, ‘संभल जाओ, दुनिया में अपनी हैसियत समझ लो। तुम्‍हारे बिना भी यह दुनिया हसीन है बल्कि कहीं ज्‍यादा हसीन है।’ शायद कुछ लोग समझ भी जाएं पर अधिकांश को यह जिंदगी इतनी बेमायने लगने लगी है कि वे हर रोज दुआ मांगते हैं कि किसी भी तरह हो, प्रलय के बहाने ही सही मौत आ जाए। उम्‍मीद है कि इस लॉकडाउन में उनका दिमाग कुछ खुल जाए।


Viewing all articles
Browse latest Browse all 10

Latest Images

Trending Articles





Latest Images